आज की आवश्यकता

हिन्दुस्तान का सारा जीवन-विकास समन्वय की पध्दति से हुआ है. इस देश की मुख्य शक्ति समन्वय ही है .यहां पर जो लोग आए, चाहे वे बसने के लिए आए या युध्द के लिए - उन सबकी अच्छाइयों की समन्वय करने की कोशिश हिन्दुस्तान ने की है. इसके परिणामस्वरूप हमारी  अलौकिक संस्कृति का सृजन हुआ है .मै मानता हूं  कि  हमारी संस्कृति सापेळिक है लेकिन इसके मौलिक तत्व के पृथ्वी के अन्तरतम् में है . अतः इन तत्वों को कोई राष्टविरोधी छू नही सकता है. छेड़ना तो दूर की की बात है. जैसा की आज देश एक वातावरण हम सब देख रहें हैं . हमें इन तत्वों लड़ने की जरूरत है , अपने वैचारिक आत्मबल से तथा साम्ययोग से किसी वाद से नही क्योकि वाद हमेशा तोड़ता है वही साम्ययोग सिर्फ जोड़ता है," जय हिन्द .

Comments

Popular posts from this blog

COUNT DOWN BEGINS - IAS (P) 2015